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नेमावर हत्याकांड को लेकर प्रदेश के कई जिलों में ज्ञापन

नेमावर हत्याकांड को लेकर प्रदेश के कई जिलों में ज्ञापन।


आदिवासी समन्वय मंच,भारत के आह्वान पर कल 3 जुलाई 2021 को मध्य प्रदेश के समस्त आदिवासी सामाजिक जन संगठनों द्वारा देवास जिले के नेमावर में एक गरीब परिवार के 5 सदस्य की जघन्य हत्याकांड की जांच सीबीआई से करवाने एवं दोषियों को फांसी की सजा दिलवाने के लिए प्रदेश के कई जिलों, तहसील एवं ब्लॉक स्तर पर ज्ञापन सौंपा गया ।


ज्ञात हो कि मध्यप्रदेश के देवास जिले में एक ही परिवार के 5 सदस्य दिनांक 13 मई 2021 से गायक हो जाने पर दिनांक 17 मई 2021 को उनके परिवार के एक सदस्य द्वारा नेमावर थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। मृतकों की गुमशुदगी के 47 दिवस बाद घटना का पर्दाफाश हुआ जिसमें उक्त 5 सदस्य की निर्ममता पूर्वक नरसंहार कर आरोपी के खेत में लगभग 10 फीट की गहराई वाले गड्ढे में गाड़ दिया गया और साक्ष्य छुपाने की दृष्टि से शवों को गलाने के लिए उनके ऊपर नमक एवं यूरिया खाद आदि भी डाला गया। युवतियों के शरीर पर कपड़े भी नहीं पाए गए। यह घटना मानवता को शर्मसार कर देने वाली अमानवीय व नींदनीय है। इस पूरे हत्याकांड की सीबीआई जांच करवाई जाकर दोषियों को फांसी की सजा होना चाहिए।


आदिवासी समन्वय मंच, भारत के माध्यम से मध्य प्रदेश राज्य के आदिवासी समाज के समस्त सामाजिक जन संगठनों ने मांग की है कि- इस जघन्य हत्याकांड की जांच सीबीआई से करवाया जाए ताकि साक्ष्य छुपाने वाले व सहभागी लोगों के नाम एवं वास्तविक तथ्य सामने आ सकें।


प्रकरण फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाया जाकर 6 माह के भीतर दोषियों को फांसी की सजा दी जाए ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटना की पुनरावृत्ति न हो सकें।


प्रकरण में चालान न्यायालय में प्रस्तुत किए जाने के पूर्व संचालक अभियोजन से परीक्षण कराया जाए।


प्रकरण की पैरवी के लिए पीड़ित परिवार एवं आदिवासी समन्वय मंच, भारत की सहमति से मध्यप्रदेश शासन द्वारा वकील नियुक्त किया जावें। पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने में लगने वाले समस्त खर्चा मध्यप्रदेश शासन द्वारा वहन किया जावें।


इस प्रकरण में एससी /एसटी एक्ट 1989की समस्त धाराओं व नियमों का बारीकी से पालन करते हुए इस पूरी अमानवीय घटना को अंजाम देने वाले एवं सहयोग करने वाले जैसे कि स्थानीय प्रशासन, राजनीतिक व रसूखदार लोग, जेसीबी मशीन के मालिक, ड्राइवर, कॉल डिटेल एवं मोबाइल टावर लोकेशन के आधार पर बारीकी से जांच कर इन्हें भी आरोपी बनाया जाए।


उक्त घटनाक्रम में देवास जिले के पुलिस अधीक्षक, नेमावर के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक एवं नेमावर थाने के समस्त पुलिसकर्मियों को तत्काल निलंबित करने तथा किसी IPS अधिकारी से अथवा एस.आई.टी. गठित किया जाकर 15 दिवस के अंदर अन्वेषण पूर्ण करने के साथ ही लापरवाही बरतने वाले अधिकारी-कर्मचारियों के विरुद्ध एससी/ एसटी एक्ट 1989 की धारा 4 के प्रावधान के तहत आपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध करते हुए सहअभियुक्त बनाया जावें ।

मृतक परिवार के सदस्य अनुसूचित जाति /अनुसूचित जनजाति समुदाय से आते है तथा मृतक लड़कियों के शवों पर वस्त्र भी नहीं पाए गए तथा आरोपियों पर अनुसूचित जाति /अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 एवं सामूहिक बलात्कार की धारा लगाई जाए।


प्रकरण फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाया जाकर 6 माह के भीतर दोषियों को फांसी की सजा दी जाए ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटना की पुनरावृत्ति ना हो सके।


प्रकरण में चालान न्यायालय में प्रस्तुत किए जाने के पूर्व संचालक अभियोजन से परीक्षण कराया जाऐं।

प्रकरण की पैरवी के लिए पीड़ित परिवार एवं आदिवासी सामान्य मंच,भारत की सहमति से मध्यप्रदेश शासन द्वारा वकील नियुक्त किया जावें । पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने में लगने वाले समस्त खर्चा मध्यप्रदेश शासन द्वारा वाहन किया जावें।


आरोपी दबंगई प्रवृत्ति के हैं एवं पीड़ित परिवार अत्यंत गरीब तथा नि:सहाय होने से पीड़ित परिवार के सदस्य एवं साथियों को पूर्ण पुलिस सुरक्षा प्रदान की जाए तथा अन्वेषण के दौरान समस्त साक्ष्य एकत्रित किए जाए ।


पीड़ित परिवार के तीनों सदस्यों को उनकी पसंद के सुरक्षित स्थान पर सीसीटीवी सुविधा युक्त आवास गृह दिया जावें।


पीड़ित परिवार के बचे हुए तीन सदस्यों को नियमित शासकीय नौकरी प्रदान की जाए तथा परिवारजन को एससी /एसटी एक्ट में उपबंधित सहायता राशि के अतिरिक्त प्रत्येक मृतक के रुपए एक करोड़ के हिसाब से मुआवजा राशि तत्काल दिलाई जावें।


उक्त आदि मांगों को लेकर मध्य प्रदेश के इंदौर, जबलपुर, बड़वानी में बड़वानी,सेंधवा, पानसेमल, सिलावद एवं पाटी, खरगोन ,कसरावद, बुरहानपुर, खंडवा,हरदा, धार, रतलाम, रावटी, बाजना, पेटलावद जिला झाबुआ, भोपाल, बेतूल, होशंगाबाद, नीमच, मंदसौर, सीहोर, बैतूल-मुलताई, आमला,सांदलमेढा, दामजीपुरा,छिंदवाड़ा, परासिया, दमुआ* सहित प्रदेश के कई जिलों, तहसील एवं ब्लाक स्तर पर आदिवासी सामाजिक जन संगठन द्वारा महामहिम राज्यपाल महोदया के नाम से ज्ञापन देकर मांग की है कि उक्त अमानवीय घटना को लेकर प्रदेश - देश के आदिवासी समाज में रोस एवं आक्रोश व्याप्त है। इसलिए अति संवेदनशील प्रकरण में व्यक्तिगत रूप से संज्ञान लेते हुए उक्त मांगों पर गंभीरतापूर्वक विचार कर दिनांक 5 जुलाई 2021 तक कार्रवाई करने हेतु मध्यप्रदेश शासन को निर्देशित करें । अन्यथा की दशा में पूरे प्रदेश में आदिवासी समाज द्वारा क्रमबद्ध आंदोलन करने की चेतावनी दी गई।


"आदिवासी समन्वय मंच, भारत"



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