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आप हर क्षेत्रो में कमजोर दिखाई देते हो ? - Vikram Achhaliya

समस्या चाहे मानव निर्मित हो या प्रकृति निर्मित दोनों परिस्थिति मैं समस्या का सामना गरीब लाचार बेबस मजलूम गुलाम समाज को ही करना होता है और यदि आपको यह लगता है कि मौजूदा हालात में आपका समाज गुलाम नहीं है तो फिर आपकी समझ कमजोर है गुलामों की पहचान होती है जो समाज श्रम देने का काम करें जिस समाज के लोग जेलों अधिक संख्या में हो और जिस समाज को शिक्षा स्वास्थ्य और न्याय ना मिलता हो तो मान लेना चाहिए कि वह समाज गुलाम है l

ऐसी परिस्थिति में समाज को ऐसे नेतृत्व की आवश्यकता है जो गरीब लाचार बेबस मजलूम मानवीय मूल्यों के लिए संघर्ष करने में अपना जीवन खपाए l जो समाज के जीवन स्तर में सुधार लाने के साथ-साथ शिक्षा स्वास्थ्य और न्याय की व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए लड़े और और समतामूलक समाज का निर्माण करें वह समाज के मान सम्मान और इज्जत की रक्षा करें l किंतु मौजूदा हालात में समाज में संघर्षों से नेतृत्व का निर्माण नहीं हो रहा है समाज को ऐसी लीडरशिप थोपी जा रही है जिसका संघर्ष समाज में नगण्य है या यूं कहें समाज को बगैर संघर्ष की लीडरशिप मिल रही है और हमने अपने और अपने बच्चों के भविष्य का निर्धारण उन नेतृत्व कर्ताओं के हाथों में सौंप दिया है जो पार्टी में डिमांड करते हैं कमांड नहीं करते जिनका अपना संघर्ष मात्र पार्टी टिकट प्राप्त करना होता है और दलाली करना होता है उससे आप समाज की सुरक्षा की उम्मीद नहीं कर सकते l

हमें ऐसे वैचारिक समाज का निर्माण करना होगा जो समाज के संघर्ष के लिए लड़ने वाले नेतृत्व को प्राथमिकता दें l हमें नेता निर्माण करने की वजह समाज निर्माण करने में ध्यान देना होगा समाज ने बहुत नेता बनाया अब सामाजिक चिंतकों को समाज बनाने की ओर ध्यान देना चाहिए और जो समाज बनाने के लिए अपना संघर्ष और जीवन निछावर करता है उसी को समाज का नेता बनाना चाहिए l

ये लेख हमारे समाज के बेहतर चिंतक का है।

सेवा जोहार


विक्रम अछालिया (Vikram Achhaliya)

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